Saturday, June 11, 2011

गरीबी अमीरी की विषमता

भारत में सुपर अमीरी परिवारों की संख्या अगले पांच वर्षो में तिगुनी हो जाएगी| ऐसा अनुमान किये गए एक अध्यन के आधार पर लगाया जा रहा है| ऐसे सुपर अमीर परवारों के लिए अध्यनकर्ताओं ने यूएचएनएच जैसे टर्म का इस्तेमाल किया गया है| जिसका मतलब है अल्ट्रा हाई नेटवर्क हाउसहोल्ड | मोटेतौर पर इसका आशय उन परवारों से है, जो साल में कम से कम 25 करोड़ रूपए अपने घरेलू बजट एं खर्च करते है| ये 25 करोड़ रूपए किसी संयुक्त परिवार के लिए नही, बल्कि नियुकिलेर परवारों के लिए है और इनमें निवेश या कारोबारी खर्च शामिल नही है|

रिपोर्ट के मुताबिक अभी यहाँ लगभग 62 हजार इसी सुपर ग्रेह्स्थियाँ हैं, जो 2015-16 तक बढ़ कर लगभग सवा दो लाख हो जाएगी | पहले एस तरह की रिपोर्ट पढ़ कर लोग झूम उठते थे| उन्हे लगता था की देश कितनी तेजी से तरक्की कर रहा है हम न सही दूसरी तोह एस ऊँचाई को छूने लगे हैं|

लेकिन अब लोगो इसी स्थिति से जोड़ कर देखते हैं| सुपर परिवारों के बढने से लक्जरी मार्केट में रोनक जरुर आएगी| ज्यादा सुपर अमीर परिवार यानि महंगी चीजो की ज्यादा खरीदारी |लेकिन आम भारतियों के लिए यह एक नेगटिव खबर है देश की विकास दर का अनुमान 7 से 9 प्रतिशत के बिच झूल रहा है | यदि यह 10 प्रतिशत भी हो जाये तोह जीडीपी 5 साल में 50 प्रतिशत बढ़ जायेगा| लेकिन सुपर परिवारों के तिगुना होने का मतलब है उनके खर्चों में तीन सौ प्रतिशन की वृद्धि | देश में खादय सुरक्षा की स्थिति पर चार रिपोर्टे उपलब्ध है |

अर्जुन सेनगुप्ता कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक यहाँ 77 प्रतिशत परिवार गरीबी रेखा के निचे है, सुरेश तेंदुलकर समिति के अनुसार 37.2, एन सी सक्सेना समिति के अनुसार 50 और योजना आयोग के मुताबिक 27.5 प्रतिशत| एक मोटे अनुमान के मुताबिक विकास की मौजूदा रफ़्तार से लगभग 30 करोड़ लोग 2025 तक सिर्फ गरीबी रेखा से उपर आ सकेंगे| यानी गरीबी के दायरे में आने वाले लोगों की अच्छी- खासी तद्दाद अब से 14 साल बाद भी बनी रहेगी |

इसका मतलब साफ़ है, जी डी पी में होनी वाली बढ़ोतरी का लाभ सब तक सामान रूप से नही पहुँच रहा है और हमारे समाज में विषमता आने वाले दिनों में कम होने के बजाय और बढेगी , तोह फिर ख़ुशी किस पर मनाये|

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